दुनिया भर के पाठ्यक्रम में जलवायु परिवर्तन पर शिक्षा
जलवायु परिवर्तन हमारे समय के सबसे महत्वपूर्ण मुद्दों में से एक है।
यह सभी देशों और उनके नागरिकों के दीर्घकालिक और न्यायसंगत विकास को प्रभावित करता है।
इसके समाधान के लिए आवाम को मुद्दों के प्रति जागरूक होना आवश्यक है।
जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने के उपायों में ऐसे समाधान शामिल होंगे जो स्थानीय रूप से निहित हैं लेकिन वैश्विक विज्ञान पर आधारित हैं।
औपचारिक शिक्षा प्रणाली में जलवायु परिवर्तन की शिक्षा का शामिल किया जाना जलवायु परिवर्तन को समझने, कम करने, और लड़ने के लिए स्थानीय रूप से प्रासंगिक समाधान तय करने के लिए आवश्यक योग्यता के साथ वर्तमान और भविष्य की पीढ़ियों को लैस कर सकता है।
TROP ICSU परियोजना (https://climatescienceteaching.org/; https://tropicsu.org/) का उद्देश्य है विद्यालय और स्नातक के स्तर पर जलवायु परिवर्तन से संबंधित विषयों को शामिल करना, जिससे इसके कारणों और प्रभावों के प्रति छात्रों के बीच जागरूकता बढ़ाई जा सके। TROP ICSU परियोजना ज्ञान के लोकतंत्रीकरण की दृष्टि का हिस्सा है, ताकि पूरी मानवता अपनी प्रतिभा, कौशल, और महत्वाकांक्षा को जलवायु परिवर्तन की समस्याओं को दूर करने के लिए केंद्रित कर सकें।
इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य मान्य शैक्षणिक संसाधनों का एक विश्वसनीय स्रोत प्रदान करना है जो जलवायु परिवर्तन सम्बंधित विषयों को औपचारिक शिक्षा प्रणाली के मुख्य पाठ्यक्रम में एकीकृत करे। यह पद्धति सुनिश्चित करेगी कि सभी छात्र अपने विषयों/अध्ययन के क्षेत्रों के साथ जलवायु परिवर्तन के कारणों और प्रभावों से अवगत होंगे, और इस वैश्विक समस्या के उन्नतिशील स्थानीय समाधान विकसित करने के कौशल से लैस होंगे।
अतएव, TROP ICSU परियोजना संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) में उत्कृष्ट शिक्षा (लक्ष्य 4) और जलवायु कार्रवाई (लक्ष्य 13) के साथ श्रेणीबद्ध है।
परियोजना के इन लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए भारतीय विज्ञान शिक्षा और अनुसंधान संस्थान (IISER), पुणे आधारित TROP ICSU परियोजना कार्यान्वयन टीम ने दुनिया भर के शिक्षण संसाधनों का एक भंडार विकसित, समानुक्रमित, स्थापित, और मान्य किया है जिसका शिक्षकों द्वारा जलवायु परिवर्तन से संबंधित उदाहरणों, केस अध्ययनों और गतिविधियों का उपयोग करके अनुशासन-विशिष्ट विषयों को पढ़ाने के लिए उपयोग किया जा सकता है। इस परियोजना ने मौजूदा पाठ्यक्रम में जलवायु परिवर्तन शिक्षा को एकीकृत करने के नए शैक्षणिक दृष्टिकोण को प्रदर्शित किया है। इस परियोजना के अंतर्गत, टीम ने जलवायु परिवर्तन सम्बंधित विषयों को मुख्य पाठ्यक्रम में एकीकृत करने की अवधारणा के प्रमाण के रूप में बड़ी संख्या में शिक्षण संसाधन (कुछ विस्तृत, चरण-दर-चरण पाठ योजनाओं के साथ) विकसित किए हैं। पाठयक्रम विषयों में जलवायु परिवर्तन विषयों की वैज्ञानिक वैधता और निर्बाध एकीकरण को सुनिश्चित करने के लिए एक विस्तृत कार्यप्रणाली अपनाई गई है। इस प्रकार TROP ICSU शैक्षिक संसाधनों का उपयोग कर शिक्षक मुख्य पाठ्यक्रम से हटे बिना छात्रों में जलवायु परिवर्तन के प्रति जागरूकता बढ़ाने के साथ शिक्षा की गुणवत्ता भी बढ़ा पाएंगे।
परियोजना के पहले चरण में टीम ने भारत, भूटान, दक्षिण अफ्रीका, युगांडा, मिस्र, फ्रांस, ऑस्ट्रिया, ब्रिटेन, चीन और ऑस्ट्रेलिया में शिक्षकों और शिक्षाविदों के लिए कार्यशालाएं आयोजित की हैं। इन कार्यशालाओं में स्थानीय शिक्षकों ने इन शिक्षण संसाधनों की प्रभावशीलता का मूल्यांकन किया। कुछ जगहों पर जलवायु परिवर्तन विशेषज्ञों ने भी कार्यशालाओं में भाग लिया और अपने अपने फीडबैक दिए। इसके अलावा संयुक्त राष्ट्र के संगठन, जैसे UNCC: Learn, विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO), और विश्व जलवायु अनुसंधान कार्यक्रम (WCRP) के साथ मजबूत सहकारिता स्थापित की गई है, जिन्होंने न केवल पाठ योजनाओं और शिक्षण उपकरणों को मान्यता दी है, बल्कि इस पूरी परियोजना समर्थन भी किया है। इस प्रोजेक्ट की टीम को 14-15 मई 2019 को न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र के मुख्यालय में चौथे संयुक्त राष्ट्र एसटीआई फोरम 2019 के दौरान विज्ञान शिक्षा के कार्यक्रम में अपने शैक्षिक प्रयासों को प्रस्तुत करने का अवसर मिला। इसके अलावा, दीर्घकालिक विकास के उच्चस्तरीय राजनीतिक मंच 2019 (HLRF 2019) पर 11 जुलाई 2019 को संयुक्त राष्ट्र के मुख्यालय में आयोजित "पर्यावरण और जलवायु कार्रवाई के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पर अभ्यास और दृष्टिकोण" नामक एक सत्र में टीम ने अपनी प्रस्तुति दी। साथ ही, टीम ने पोलैंड में आयोजित COP 24 के दौरान शिक्षकों और जलवायु विशेषज्ञों के सम्मेलनों और कार्यशालाओं में जलवायु शिक्षा कार्यक्रमों में भी भाग लिया।
TROP ICSU एक बहुत ही सामयिक पहल है, जैसा कि दुनिया भर के लोगों (विशेष रूप से युवाओं) में चिंता के बढ़ते स्तर से देखा जा सकता है। साथ ही कुछ देशों द्वारा उठाए गए कदमों में भी, जैसे इटली, जहाँ हर बच्चे के पाठ्यक्रम में जलवायु परिवर्तन पर शिक्षा को शामिल किया गया है।
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